दिल्ली सचिवालय पर सामूहिक अवकाश लेकर दिनभर धरने पर बैठे कर्मचारी
सरकार के खिलाफ दास व स्टेनो कैडर कर्मियों ने खोला मोर्चा
दिल्ली सचिवालय पर सामूहिक अवकाश लेकर दिनभर धरने पर बैठे कर्मचारी
अब 3 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरना देने की चेतावनी
कर्मचारियों की यूनियन गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी एम्प्लाइज वेलफेयर एसोशिएसन ने लिया फैसला
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के विभागों में कार्यरत दास व स्टेनो कैडर के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर अभियान तेज कर दिया है। राज निवास के बाहर दो बार धरना देने के बाद अब कर्मचारियों ने मंगलवार को सामूहिक अवकाश पर रहकर दिल्ली सचिवालय के बाहर एक दिवसीय धरना दिया। कर्मचारियों की यूनियन गवर्नमेंट ऑफ एनसीटीएम्प्लाइज वेलफेयर एसोशिएसन के अध्यक्ष डीएन सिंह की अगुवाई में आयोजित धरने में काफी संख्या में सरकारी कर्मचारियों ने शिरकत की। यूनियन ने लंबित मांगों को मनवाने के लिये 3 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरना देने की भी घोषणा की। सामूहिक अवकाश की वजह से सरकारी दफ्तरों के कामकाज पर भी असर पड़ा।
कर्मचारियों ने दिल्ली सचिवालय की पार्किंग से लेकर गेट नंबर-6 मैन एंट्री गेट तक विरोध प्रदर्शन कर नारेबाजी भी की। गेट नंबर-6 पर धरना देकर सरकार से लंबित मांगों पर तुरंत संज्ञान लेने की मांग की। यूनियन के महासचिव दीपक भारद्वाज ने कहा कि दास व स्टेनो कैडर के कर्मचारियों के कैडर की री स्ट्रक्चरिंग 1967 में कैडर बनने से लेकर आजतक नहीं हो सकी है। हर 5 साल में कैडर का पुनर्गठन होना चाहिए। भारद्वाज ने कहा कि कैडर में ग्रेड 2 के अफसर को पूरे कार्यकाल में केवल एक ही प्रोमोशन ग्रेड वन का मिलता है। उसके बाद उन्हें एडहॉक दानिक्स बनाकर 12-15 साल तक दानिक्स के समान पदों पर कार्य कराने के बाद दानिक्स कैडर के एंट्री स्केल में 4800 ग्रेड पे में इंडक्ट करदिया जाता है। जो कानून के मुताबिक सही नहीं है।
यूनियन अध्यक्ष डीएन सिंह ने कहा कि अगर सरकार 20 दिनों के भीतर मांगों पर सकारात्मक रूख नहीं अख्तियार करती है तो मजबूरन कर्मचारियों को गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर के बाद अगले दिन 3 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठना होगा। कर्मचारियों की कैडर री-स्ट्रक्चरिंग, समयबद्ध प्रमोशन, दानिक्स कैडर से डीलिंक करने, ट्रांसफर-पोस्टिंग की पॉलिसी बनाने आदि के अलावा तमाम मांगे लंबित पड़ी हैं। अध्यक्ष ने सरकार को चेतावनी देते हुये कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो कर्मचारियों के हक में लड़ाई लड़ने के लिये अनशन जैसा फैसला लेने में भी पीछे नहीं रहेंगे।